Only PM Modi has SPG security, decided to withdraw SPG protection from Gandhi family

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद अब सरकार ने गांधी परिवार से भी SPG सुरक्षा वापस ले ली है। अब केवल प्रधानमंत्री मोदी के पास ही एसपीजी कवर रह जाएगा। एसपीजी सुरक्षा भारत में सबसे मजबूत सिक्यॉरिटी है। एसपीजी का गठन 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निधन के बाद किया गया था। आइए जानते हैं कि एसपीजी का इतिहास क्या है और इसकी क्या खासियत हैं जो कि इसे देश चुस्त-दुरुस्त और मजबूत सुरक्षा सिस्टम बना देती है।


1988 में पार्ल्यामेंट में एसपीजी ऐक्ट 1988 पास किया गया जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री के सुरक्षा चक्र को मजबूत करना था। जब वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने तो सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद एसपीजी ऐक्ट में संशोधन किया गया। अब इस ऐक्ट के तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार को कम से कम 10 साल तक एसपीजी सुरक्षा दी जानी थी।


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार के वक्त एसपीजी ऐक्ट की फिर से समीक्षा की और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव सहित एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल से एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली। 2003 में वाजपेयी सरकार ने एक बार फिर से एसपीजी ऐक्ट में संशोधन किया और 10 साल की सुरक्षा को कम करके एक साल कर दिया। यह एक साल प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद से गिना जाना था। इसमें यह भी कहा गया कि अगर किसी पूर्व प्रधानमंत्री की जान को खतरा है तो इसे एक साल से बढ़ाया भी जा सकता है।


एसपीजी को मिलता है ऐसा प्रशिक्षण
एसपीजी बहुत ही प्रशिक्षित इकाई है और आधुनिका उपकरणों और वाहनों से लैस होती है। इसमें 3,000 कमांडो होते हैं जिन्हें देश की सिक्यॉरिटी फोर्सेज से सिलेक्ट किया जाता है। अभी तक गांधी परिवार यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी और प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में ये 3000 जवान तत्पर रहते थे लेकिन अब अकेले पीएम मोदी की सुरक्षा का जिम्मा इन कमांडो के पास होगा।


क्यों है सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा बल
जब भी कोई एसपीजी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति यात्रा करता है तो एसपीजी की छोटी-छोटी टीमें बनाई जाती हैं और उस स्थान की पूरी जांच होती है। अधिकारी उस स्थान पर पहले ही पहुंच जाते हैं और 24 घंटे पहले ही उस स्थान को सुरक्षित बनाया जाता है। एसपीजी की टीम स्नापर्स और बम निरोधक विशेषज्ञ भी होते हैं। इनकी ट्रेनिंग लगातार चलती रहती है।


एसपीजी के पास होते हैं अत्याधुनिक उपकरण
एसपीजी की टीम के पास अत्याधुनिक उपकरण होते हैं। एसपीजी ऐक्ट के मुताबिक सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश एसपीजी की मदद करते हैं। एसपीजी कमांडो के पास आधुनिक रायफल्स, अंधेरे में देख पाने वाले चश्मे, संचार के अत्याधुनिक उपकरण, बुलेटप्रूफ जैकेट, दस्ताने, कोहनी और घुटनों पर लगाने वाले गार्ड्स होते हैं। इसके पास हाइटेक गाड़ियों का दस्ता भी होता है। एसपीजी के पास BMW 7 सीरीज की बख्तरबंद गाड़ियां, रेंज रोवर्स, बीएमडब्ल्यू के एसयूवी, ट्योटा और टाटा की बख्तरबंद गाड़ियां होती हैं।


सरकार ने गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला लिया है। सरकार के उच्‍च पदस्‍थ सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की बैठक में यह फैसला लिया गया। सूत्रों की मानें तो अब गांधी परिवार के सदस्‍यों को (सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा) को एसपीजी सुरक्षा के बजाए एसीआरपीएफ कमांडो की जेड प्‍लस सुरक्षा मिलेगी। 


इससे पहले एसपीजी की सुरक्षा केवल चार लोगों के पास थी जिसमें पीएम मोदी के साथ-साथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल थे। यानी अब एसपीजी की सुरक्षा केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास ही रहेगी। दरअसल, समय-समय पर देश की चर्जित हस्तियों को दी जाने वाली सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जाती है और जरूरत के मुताबिक इसमें फेर बदल भी किया जाता है।


सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने सभी एजेंसियों की ओर से मिले थ्रेट इनपुट (Threat Input) का आकलन करने के बाद यह फैसला लिया। इस इनपुट के अध्‍ययन के बाद सरकार ने पाया कि गांधी परिवार को किसी तरह का सीधा खतरा नहीं है। इसी साल अगस्‍त में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा भी हटा ली गई थी। बता दें कि एसपीजी सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर होता है जिसमें अत्याधुनिक हथियारों से लैस कमांडो तैनात होते हैं।


मालूम हो कि देश में सुरक्षा का मामला गृह मंत्रालय के अधीन आता है। गृह मंत्रालय समय-समय पर समीक्षा के बाद वीआईपी को सुरक्षा मुहैया कराता है। SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एक विशिष्ट सुरक्षा व्यवस्था है, जो चार स्तरीय होती है। इसके तहत प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों के करीबियों को सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्या के बाद देश के शीर्ष नेताओं और उनके परिजनों को सुरक्षा देने के लिए इसकी स्थापना की गई थी।


Z+ तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था होती है, जिसमें कुल 36 सुरक्षाकर्मी लगे होते हैं। इनमें 10 एनएसजी के कमांडोज होते हैं। पहले घेरे की जिम्मेदारी इनकी ही होती है। इसके बाद दूसरे घेरे में एसपीजी के अधिकारी जबकि तीसरे घेरे में आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान सुरक्षा की जिम्‍मेदारी संभालते हैं। वहीं Z स्तरीय सुरक्षा में कुल 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं जिनमें एनएसजी के चार या पांच कमांडोज होते हैं। 


पिछले महीने एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार ने एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) सुरक्षा पाने वाले दिग्‍गज हस्तियों के लिए एक नया दिशा-निर्देश जारी किया है। सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि अब विदेश यात्रा के दौरान भी वीवीआईपी लोगों के साथ एसपीजी सुरक्षाकर्मी मौजूद रहेंगे। तब उक्‍त रिपोर्ट पर कांग्रेस ने सरकार के कदम की आलोचना की थी और कहा था कि सरकार ने गांधी परिवार की निगरानी की मंशा से उक्‍त आदेश जारी किए हैं।