नई दिल्ली दिल्ली हिंसा में घायलस सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अनुज कुमार ने आप बाती सुनाते हुए कहा कि जगह-जगह उन्मादी भीड़ द्वारा मकानों, दुकानों, वाहनों पर पत्थरबाजी से युद्ध के मैदान में तब्दील हो जाने के कारण पुलिस बल को भारी संख्या में बाहर निकाला गया। गौरतलब है कि एसीपी अनुज कुमार उत्तर-पूर्व दिल्ली के गोकुलपुरी में हाल ही में झड़पों में घायल हो गए थे।
दो दिन पहले अस्पताल से छुट्टी पाने वाले एसीपी ने कहा कि हमें निर्देश दिया गया था कि गाजियाबाद की सीमा के साथ सिग्नेचर ब्रिज को जोड़ने वाली सड़क को बंद न किया जाए।लेकिन धीरे-धीरे और लगातार भीड़ बढ़ने लगी और इसमें महिला और पुरुष दोनों ही शामिल थे। वे लगभग 20000 से 25000 के बीच थे, जबकि हम केवल 200 थे। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन्होंने सड़क को बंद करने की योजना बनाई थी जैसा कि उन्होंने पहले किया था।
एसीपी अनुज कुमार कुमार ने आगे बताया कि हमने उनसे शांति से बात की और उन्हें मुख्य सड़क के बजाय सर्विस रोड तक सीमित रहने के लिए कहा। लेकिन तब तक अफवाहें फैलने लगी थीं कि कुछ महिलाएं और बच्चे पुलिस गोलीबारी में अपनी जान गंवा चुके हैं। पुल के पास निर्माण कार्य चल रहा था। उन्होंने कहा कि पत्थर और ईंटें वहां पड़ी थीं। प्रदर्शनकारियों ने अचानक पथराव शुरू कर दिया और हम घायल हो गए, जिसमें डीसीपी भी शामिल थे, जिनका गंभीर रूप से खून बह रहा था।
एसीपी ने आगे बताया कि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन प्रदर्शनकारियों और पुलिस बल के बीच की दूरी अधिक होने के कारण यह कोशिश नाकाम रही। एसीपी अनुज कुमार ने आगे बताया कि हम सड़क के दो विपरीत छोरों पर खड़े थे। हम गोलीबारी नहीं करना चाहते थे क्योंकि विरोध प्रदर्शन की भीड़ में कई महिलाओं भी शामिल थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मेरा उद्देश्य तब डीसीपी को पहले बचाना था क्योंकि उनका बहुत खून बह रहा था। लेकिन हम किसी भी प्रदर्शनकारी को चोट नहीं पहुंचाना चाहते थे।
गौरतलब है कि एसीपी गोकलपुरी के कार्यालय से जुड़े एक हेड कांस्टेबल रतन लाल की गोकलपुरी में पथराव के दौरान मौत हो गई।वहीं विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश के दौरान खुद पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), शाहदरा, अमित शर्मा और कुमार सहित कम से कम 11 पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।