पाकिस्तान को एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में मुंह की खानी पड़ी है। कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के नाम पर उसकी यूएनएचआरसी में प्रस्ताव लाने की कोशिश नाकाम हो गई। जिनीवा में चल रहे 42वें मानवाधिकार सेशन में पाकिस्तान को प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त संख्या में अन्य देशों का समर्थन नहीं मिला है। भारत के लिहाज से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कूटनीतिक जीत है। सभी प्रमुख अतंरराष्ट्रीय मंचों पर भारत मजबूती से जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को समाप्त किए जाने को आंतरिक मामला बता चुका है।
जिनेवा. दुनिया को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ गुमराह करने की पाकिस्तान की कोशिश एक बार फिर से नाकामयाब हो गई. गुरुवार यानी 19 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कश्मीर पर प्रस्ताव पेश करने का अंतिम दिन था, लेकिन पाकिस्तान इसके लिए जरूरी मत नहीं जुटा सका. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के कश्मीर पर प्रस्ताव को अधिकतर देशों ने साथ देने से मना कर दिया
जिनेवा में चल रहा है UNHRC का 42वां सत्र
यूएनआरसी में इस प्रस्ताव को प्रस्तुत करने के करने के लिए न्यूनतम 16 देशों का साथ चाहिए था. पाकिस्तान और इमरान खान पूरी दुनिया के सामने भले कश्मीर को लेकर गलत तथ्य पेश कर रहे हों, लेकिन दुनिया पाकिस्तान के असलियत को जान गई है, और इसलिए पाकिस्तान को साथ नहीं रहा है. इस समय जिनेवा में UNHRC का 42वां सत्र चल रहा है. पाकिस्तान न्यूनतम समर्थन जुटाने में भी नाकाम रहा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा की अगले हफ्ते होने वाली हाई लेवल मीटिंग से पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने इशारों-इशारों में पाकिस्तान पर निशाना साधा है. अकबरुद्दीन ने कहा, 'वह अपना स्तर गिरा सकते हैं लेकिन इससे भारत का स्तर ही ऊंचा होगा.' बता दें पाकिस्तान इस मौके का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए करना चाहता है.
अकबरुद्दीन ने कहा, 'हमने अतीत में उन्हें आतंकवाद को मुख्यधारा में लाते देखा है. अब वे नफरत भरे बयानों को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं. अगर वे यह करना चाहते हैं तो ये उनकी सोच है. लेकिन इससे उनका स्तर गिरेगा.'
मुस्लिम देशों से भी नहीं मिला समर्थन
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को गुरुवार की देर रात तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय जगत से कश्मीर पर समर्थन के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। इस्लामाबाद की कोशिशें लगातार असफल हो रही हैं और उसे ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन (OIC) से भी सहयोग नहीं मिल सका। भारत के कूटनीतिक प्रयासों की सफलता यहां पर साफ तौर पर देखी जा सकती है। भारत अंतरराष्ट्रीय जगत के बीच मजबूती से कश्मीर को आंतरिक मामला बताने में सफल रहा है।