RSS movement on march on Vijayadashami, Shiv Nadar reached Nagpur today

विजयदशमी के मौके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से पथ संचलन मार्च का आयोजन किया जा रहा है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की अगुवाई में निकलने वाले इस पथ संचलन मार्च में हिस्सा लेने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और वीके सिंह भी पहुंचे हुए हैं.


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और वीके सिंह के साथ-साथ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में व्यस्त मुख्यमंत्रिी देवेंद्र फडणवीस ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से आज नागपुर में आयोजित होने वाले विजयदशमी कार्यक्रम में आईटी कंपनी एचसीएल के संस्थापक और अध्यक्ष शिव नाडर मुख्य अतिथि हैं. यह कार्यक्रम सुबह सात बजकर 40 मिनट पर रेशीमबाग नागपुर में आयोजित हुआ. पिछले साल इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी थे.


आरएसएस हर साल छह बड़े कार्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें विजयदशमी का कार्यक्रम बेहद खास होता है.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) विजयदशमी के दिन अपना स्थापना दिवस कार्यक्रम भी मनाता है. संघ की स्थापना यूं तो वर्ष 1925 में 27 सितंबर को हुई थी. मगर आरएसएस अपना स्थापना दिवस हर साल विजयदशमी के दिन ही आयोजित करता है.


1925 में 27 सितंबर को विजयदशमी थी. हर साल संघ की ओर से होने वाले इस कार्यक्रम की अहमियत का पता इसी से चलता है कि आरएसएस इस समारोह में किस बाहरी हस्ती को बुलाता है. बहुत पहले से मुख्य अतिथि को लेकर अटकलें लगने लगती हैं.



RSS के लिए क्यों खास है विजयदशमी


विजयदशमी के दिन होने वाले संघ के इस स्थापना दिवस कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत का अहम उद्बोधन होता है. जिस पर देश की निगाह होती है. दरअसल, इस उद्बोधन के जरिए अगले एक साल के लिए संघ प्रमुख देश के हालात पर अपनी राय व्यक्त करते हैं. अगले वर्ष के लिए संघ और उसके सभी 36 सहयोगी संगठनों के एजेंडे के संकेत भी इस भाषण से मिलते हैं.


आरएसएस सरकार से अपनी अपेक्षाएं भी इसी भाषण के जरिए जाहिर करता है. लिहाजा संघ की स्थापना दिवस पर होने वाले इस भाषण पर राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें टिकीं होती हैं.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयदशमी के दिन की थी. तब से आरएसएस हर साल विजयदशमी के दिन ही स्थापना दिवस मनाता है जिसे संघ में विजयादशमी उत्सव कहा जाता है. इस मौके पर संघ देश की एक प्रमुख हस्ती को आमंत्रित करता है.



वहीं भागवत ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देश में बहुत कुछ अच्छा चल रहा है. सरकार ने कई कदम उठाए हैं. सरकार के पास कठोर निर्णय लेने की क्षमता है. हमारा देश पहले से ज्यादा सुरक्षित है. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना बड़ा कदम है. चंद्रयान-2 ने विश्व में भारत का मान बढ़ाया है.


संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक का पहला आंदोलन ही देश में एक विधान और एक परिधान के लिए हुआ था. मोहन भागवत ने कहा कि इस सरकार में जनता ने विश्वास दिखाया है. सरकार ने भी कई कड़े फैसले लेकर बताया कि उसे जनभावना की समझ है. गुरु नानक देव की 550वीं जयंती, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, लोकसभा चुनाव जैसी कई घटनाएं हैं जिनकी वजह से यह साल कई सालों तक याद रहेगा.


मोहन भागवत ने कहा कि नई सरकार को बढ़ी हुई संख्या में फिर से चुनकर समाज ने उनके पिछले कामों की सम्मति और आने वाले समय के लिए बहुत सारी अपेक्षाओं को व्यक्त किया था. जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए, देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है. अनुच्छेद 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है.


अभी कुछ संकट हैं


उन्होंने कहा कि हमारे मार्ग के रोड़े, बाधाएं और हमें रोकने की इच्छा रखने वाली शक्तियों के कारनामे अभी समाप्त नहीं हुए हैं. हमारे सामने कुछ संकट हैं जिनका उपाय हमें करना है. कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर हमें देने हैं और कुछ समस्याएं हैं जिनका निदान कर हमें उन्हें सुलझाना है.


मोहन भागवत ने कहा कि सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति और हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं.


उग्रवादी हिंसा में कमी


मोहन भागवत ने कहा कि हमारी स्थल सीमा और जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है. केवल स्थल सीमा पर रक्षक और चौकियों की संख्या और जल सीमापर (द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी. देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आयी है. उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है.