आरिफ अकील का जन्म भोपाल में 14 जनवरी 1952 को हुआ। एम.एससी, एम.ए., बी.एड. और एल.एल.बी. शिक्षित श्री आरिफ अकील का व्यवसाय कृषि है। वर्ष 2018 में श्री अकील छठवीं बार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए हैं।
एक छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले आरिफ अकील भोपाल उत्तर विधानसभा सीट लगातार 1998 से जीतते आ रहे हैं. मध्य प्रदेश में 1977 में वे कांग्रेस की छात्र ईकाई एनएसयूआई के उपाध्यक्ष नियुक्त किये गये थे.
तब से शुरू हुए राजनीतिक करियर में उन्होंने विधायक के रूप में पहला चुनाव 1990 में जीता. वे निर्दलीय उम्मीदवार थे और उन्होंने कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री हसानत सिद्दीकी को हराया.
1993 में उन्होंने जनता दल के बैनर तले चुनाव लड़ा पर वे भाजपा के रमेश शर्मा से हार गए. वाद में वे एमपी वक्फ बोर्ड और बार काउंसिल के सदस्य भी बने.
अकील ने सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1972 में छात्र राजनीति से शुरू की। आप सेफिया महाविद्यालय भोपाल के छात्र संघ अध्यक्ष, मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस एवं एनएसयूआई मध्यप्रदेश के उपाध्यक्ष और बार कौंसिल के सदस्य भी रहे हैं। श्री अकील वर्ष 1995 से मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के सदस्य हैं। इसके साथ ही श्री अकील भोपाल विश्वविद्यालय की कोर्ट के सदस्य, नागरिक बैंक के संचालक तथा कई अन्य संस्थाओं के अध्यक्ष और संरक्षक भी रहे हैं। श्री अकील की अभिरूचियों में जनसेवा, खेल और कृषि कार्य प्रमुख है।
श्री आरिफ अकील अनेक खेल संगठनों में भी सक्रिय रहे हैं। श्री अकील जिला शूटिंग बाल एसोसिएशन के अध्यक्ष, भोपाल हॉकी (मेन्स) एसोसिएशन की कार्यकारिणी के सदस्य और अनेक खेल संगठनों के पदाधिकारी हैं। वर्ष 1998 से मध्यप्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष और वर्ष 1995 से भोपाल नागरिक बैंक के अध्यक्ष सहित अन्य संस्थाओं के पदाधिकारी रहे हैं।
पर उनकी राजनीति एक बार फिर उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद चमकी. 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से लड़े और अबकी बार भाजपा के रमेश शर्मा को हरा के बाज़ी जीती.
उसके बाद जो जीत का सिलसिला चला वो अभी तक थमा नहीं. आज उनको 'शेरे भोपाल' कहा जाता है. पिछले तीन चुनावों में जहां राज्य में भाजपा की सत्ता कायम हुई वहीं भोपाल उत्तर आरिफ अकील का गढ़ बना हुआ है.
उनके एक नज़दीकी सहयोगी कहते हैं कि 'आरिफ भाई काम में भेदभाव नहीं करते. उनका मानना है कि जो मेरे पास आ गया वो मेरा है.'
उनकी विधानसभा क्षेत्र का कोई भी फरियादी उनके पास आता है तो वो समस्या का निदान करने के लिए तैयार होते हैं. आरिफ अकील ने दिप्रिंट को बताया, 'सुबह से रात दो बजे तक मेरा समय जनता की सुनने में निकलता है. उनकी समस्या सुलझाने में निकलता है. सब जानते है कि मैं सबके लिए उपलब्ध हूं.'
आरिफ के सहयोगी कहते हैं कि वे ये भेदभाव नहीं करते कि कौन उनकी मदद मांगने आया है- वह कांग्रेस का है या बीजेपी का. पब्लिक जानती है कि कौन उनके काम का है.
'अगर कभी कोई झगड़ा सुलझाने के लिए आता है तो आरिफ भाई पुलिस को फोन कर सुलह सफाई करवाने के लिए कहते हैं, तो फरियादी को काम पूरा करवाने के लिए चक्कर नहीं काटने पड़ते. वे खुद पीछे पड़ समस्या का समाधान करवाते हैं.'