Arun Jaitley Biography in Hindi

अरूण जेटली का जन्म 28 दिसम्बर सन 1952 को वकीलों और समाज सेविओं के परिवार में हुआ. उनके परिवार में हमेशा से ही सामाजिक कार्यों की परम्परा रही. उनके पिता महाराज किशन जेटली भी पेशे से वकील थे और दिल्ली के नारायण विहार में निवास करते थे. अरूण जेटली की मां रतन प्रभा एक समाज सेवी थी. अरूण जेटली ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, दिल्ली से ही पूरी की. शुरू से ही उनका रूझान पढ़ाई के प्रति था और वे अपने स्कूल के होनहार विद्यार्थियों में गिने जाते थे. पढ़ाई के अलावा डिबेट्स और किक्रेट उनके पसंदीदा विषय थे. अपनी आगे की पढ़ाई उन्होंने श्री राम कॉलेज आॅफ कॉमर्स से पूरी की, जहां उन्होंने एक बेहतरीन डिबेटर के तौर पर अपनी पहचान स्थापित की और अपने कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गए. अपनी वकालत की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ही पूरी की. बचपन में ही पारिवारिक माहौल मिलने के कारण उनकी रूचि वकालत, कानून और राजनीति में हो गई थी और अपने कॉलेज के चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इसी दिशा में कदम बढ़ाना उचित समझा. उस दौर में वे जनता पार्टी के भ्रष्टाचार उन्मूलन आंदोलन से खासे प्रभावित हुए. और उन्होंने इस पार्टी से खुद को जोड़ा और आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई. पार्टी ने उन्हें युवा संगठन में काम करने के लिए पद दिया.


अरूण जेटली का निजी जीवन


अरूण जेटली ने गिरिधर लाला डोगरा और शकुंतला डोगरा की बेटी संगीता से विवाह किया और उनसे उन्हें एक बेटा रोहन जेटली और एक बेटी सोनाली जेटली हुए. उनकी दोनों संतानों ने भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए वकालत को पेशे के तौर पर अपनाया है.


राजनीतिक कैरियर


1991 से जेटली भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। 1999 के आम चुनाव से पहले की अवधि के दौरान वह भाजपा के प्रवक्ता बने। 1999 में भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की वाजपेयी सरकार के बाद सत्ता में आने के बाद उन्हें 13 अक्टूबर 1999 को सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया था। उन्हें निर्गुण राज्य (स्वतंत्र प्रभार) , एक नया मंत्रालय विश्व व्यापार संगठन के शासन के तहत विनिवेश की नीति को प्रभावित करने के लिए पहली बार बनाया गया था। उन्होंने कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद 23 जुलाई 2000 को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला।


सन् 1973 से भ्रष्टाचार के विरुद्ध आहूत लोकनायक जय प्रकाश नारायण के 'संपूर्ण क्रांति आंदोलन' के सिलसिले में विद्यार्थी और युवा संगठनों की जेपी द्वारा स्वयं गठित की गई 'राष्ट्रीय समिति' के आप संयोजक थे. सन् 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छांत्रसंघ के अघ्यक्ष थे. सन् 1975-77 में 19 महीनों तक आपातकाल के दौरान मीसा में बंदी रहने के बाद आप जनसंघ में शामिल हो गए.



एक वरिष्ट अधिवक्ता होने के नाते 1977 से उच्चतम न्यायालय तथा देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में आपने वकालत की. सन् 1989 में वी. पी. सिंह सरकार द्वारा अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किए गए. इस दौरान आपने बोफोर्स घोटाला कांड के जांच की तफसील तैयार की.


भारतीय ब्रिटिश विधिक न्यायालय के समक्ष आपने भारत में भ्रष्टाचार और अपराध' विषयक दस्तावेज प्रस्तुत किए. जून, 1998 में नशीले द्रव्यों और अनियमित धनराशि की आबा-जाही पर रोक लगाने संबंधी अंतर राष्ट्रीय कानून को अधिनियमित करने के उद्देश्य से आयोजित संयुक्त राष्ट संघ सम्मेलन' में आप भारत सरकार के अधिकृत प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए थे. सन् 2002 में 84 वें और 2004 में 91वें संशोधन विधेयक भी आप द्वारा प्रस्तुत किये गये. शरद यादव, माधव राव सिंधिया आडवाणी प्रभृति राजनेताओं तथा फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा और बिड़ला परिवार को दोषमुक्त करवाने हेतु मुकदमें लड़ चुके हैं. विधिक और समसामयिक समस्याओं पर अनेक सारगर्भित पुस्तकों के आप रचयिता हैं. विश्व व्यापार वार्ताओं में अतीव दृढ़ता और कुशलतापूर्वक आपने भारत का पक्ष प्रस्तुत किया है.


कानूनी कैरियर


जेटली भारत के सुप्रीम कोर्ट और 1977 से देश में कई उच्च न्यायालयों के सामने कानून का अभ्यास कर रहे हैं। जनवरी 1 990 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया। 1989 में वी.पी. सिंह सरकार ने उन्हें अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था और बोफोर्स घोटाले में जांच के लिए कागजी कार्रवाई की थी। उनके ग्राहक जनता दल के शरद यादव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माधवराव सिंधिया से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एल। के आडवाणी के लिए राजनीतिक स्पेक्ट्रम को शामिल करते हैं। उन्होंने कानूनी और मौजूदा मामलों पर कई प्रकाशनों की रचना की है। उन्होंने भारत-ब्रिटिश कानूनी फोरम से पहले भारत में भ्रष्टाचार और अपराध से संबंधित कानून पर एक पत्र प्रस्तुत किया है। वह भारत सरकार की ओर से जून 1 99 8 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के लिए एक प्रतिनिधि था जहां ड्रग्स एंड मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित कानूनों की घोषणा को मंजूरी दे दी गई थी।


जेटली भी विशाल बहुराष्ट्रीय निगमों की ओर से पेप्सिको और कोका कोला और भारत के अन्य कई मामलों में भी सामने आए हैं। कानून मंत्री, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री होने के बाद जेटली ने एक मामले में 2002 में पेप्सी का प्रतिनिधित्व किया था, जहां भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने मनाली-रोहतांग रोड पर पारिस्थितिक रूप से नाजुक चट्टानों पर विज्ञापनों की पेंटिंग के लिए 8 कंपनियों पर कठोर जुर्माना लगाया था। हिमालय। “कंपनियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था कि क्यों पर्यावरण बर्बरता में शामिल होने के लिए उन पर अनुकरणीय क्षति नहीं लगाई जानी चाहिए।” 2004 में, राजस्थान उच्च न्यायालय के मामले में जेटली कोका कोला की ओर से दिखाई दिया।


आरुण जेटली के जीवन में आये उतार चढ़ाव (Arun Jaitley career graph)


1977 में अरूण जेटली को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दिल्ली का अध्यक्ष और पूरे भारत के लिए इस संगठन का सचिव बना दिया गया.
अखिल भारती विद्यार्थी परिषद के लिए लंबे समय तक काम करने के बाद अरूण जेटली ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली.
उन्होंने इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए दिल्ली शाखा में एक युवा ब्रिगेड की भी स्थापना की.
1991 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य चुन लिया गया.
1998 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में भारत सरकार की ओर से डेलीगेट बनाकर भेजा गया. इसी सत्र में ड्रग्स और मनी लॉड्रिंग बिल आम सभा में प्रस्तुत किया गया.
1999 में अरूण जेटली को आम चुनाव से ठीक पहले पार्टी प्रवक्ता के पद पर नियुक्त किये गये.
चुनाव में भाजपा को जीत मिलने के बाद उन्हें मिनिस्टर आॅफ स्टेट, डिपार्टमेंट आॅफ इनफॉर्मेशन एंड ब्राड​कास्टिंग बनाया गया. इसी दौरान उन्हें लॉ, जस्टिस और कंपनी अफेयर्स जैसे विभागों के लिए काम करने का मौका दिया गया.


इसके बाद आगे चलकर उन्हें विनिवेश के लिए गठित किये नये मंत्रालय का जिम्मा सौंपते हुए कैबिनेट में राज्य मंत्री के तौर पर शामिल किया गया.
2000 में उन्हें गुजरात से राज्य सभा सांसद के तौर पर पहली बार चुना गया.
इसी वर्ष उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलात् मंत्रालय के लिए मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई, साथ ही उन्हें जहाजरानी मंत्रालय भी अतिरिक्त प्रभार के तौर पर सौंपा गया.
राम जेठमलानी के कैबिनेट से इस्तीफे के बाद 2000 में ही उनकी जगह कैबिनेट मिनिस्टर बना दिया गया.
कानून मंत्रालय का कार्यभार संभालते हुए उन्होंने अपने मंत्रालय के लिए सिविल प्रोसीजर कोड, भरतीय दण्ड प्रक्रिया और कंपनीज एक्ट में कई संशोधन करवाए.
इसके बाद उनके राजनीतिक जीवन में बड़ा बदलाव तब आया जब उन्होंने भाजपा में जनरल सेक्रेट्री बनने के लिए 2002 में इस्तीफा दे दिया.
2003 तक वे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी अपनी सेवाएं देते रहें. 2003 में उन्होंने एक बार फिर कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और लॉ एंड जस्टिस की कमान संभाली.
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने विश्व व्यापार मंडल के साथ भारत की भूमिका को निर्णायक मोड़ दिया जिस पर देश आज तक कायम है.
2006 और 2012 में उन्हें दो बार गुजरात से राज्य सभा सांसद के तौर पर चुन कर भेजा गया.
2014 में उन्होंने लोकसभा के अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.