Arvind Kejriwal Biography in Hindi

अरविंद केजरीवाल का जन्म १९६८ में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ और उन्होंने १९८९ में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में, १९९२ में वे भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया। शीघ्र ही, उन्होंने महसूस किया कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। अपनी अधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने, भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम शुरू कर दी। प्रारंभ में, अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


अरविंद केजरीवाल तात्कालिक भारतीय राजनीति में वह नाम हैं, जो अक्सर किसी न किसी विवाद में उलझे रहते हैं. अन्ना जन लोकपाल बिल आंदोलन से भारतीय राजनीति की सक्रिय जमीन पर कदम रखने वाले अरविंद केजरीवाल ने एक समय में अपनी तीव्र राजनैतिक सक्रियता से पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ़ खींच लिया था. इन्होंने अन्ना आंदोलन के बाद अपनी राजनैतिक पार्टी बनाई, जिसका नाम है 'आम आदमी पार्टी'. आम आदमी पार्टी ने पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ी और एक बेहतर परिणाम के साथ सामने आई. इसे 70 में कुल 28 सीटें प्राप्त हुई थीं. लगभग डेढ़ महीने कांग्रेस के बाहरी समर्थन में सरकार चलाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद लगभग एक वर्ष तक दिल्ली में एलजी का शासन रहा. दूसरी बार जब चुनाव हुए, तो यह परिणाम और भी बेहतर हो गया. इस पार्टी को 70 में से कुल 67 सीटें प्राप्त हुईं, ये एक ऐतिहासिक जीत थी. राजनीति से पहले ये आईआरएस अफसर थे.


जनवरी २००० में, उन्होंने काम से विश्राम ले लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन-परिवर्तन की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। इसके बाद, फरवरी २००६ में, उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ 'परिवर्तन' में ही काम करने लगे। अरुणा रॉय, गोरे लाल मनीषी और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर, उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो जल्दी ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया, दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया[5] और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया।


इसके बाद, जुलाई २००६ में, उन्होंने पूरे भारत में आरटीआई के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए एक अभियान शुरू किया। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अरविन्द ने अब अपने संस्थान के माध्यम से एक आरटीआई पुरस्कार की शुरुआत की है। सूचना का अधिकार गरीब लोगों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही आम जनता और पेशेवर लोगों के लिए भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। आज भी कई भारतीय सरकार के निर्वाचन की प्रक्रिया में निष्क्रिय दर्शक ही बने हुए हैं। अरविंद सूचना के अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को अपनी सरकार से प्रश्न पूछने की शक्ति देते हैं। अपने संगठन परिवर्तन के माध्यम से वे लोगों को प्रशासन में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते हैं। आरटीआई को आम नागरिक के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बनने में लम्बा समय लगेगा। हालांकि अरविन्द ने हमें दिखा दिया है कि वास्तव में इसके लिए एक सम्भव रास्ता है।


६ फ़रवरी २००७ को, अरविन्द को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन 'इस वर्ष का भारतीय' के लिए नामित किया गया। अरविंद ने सूचना अधिकार अधिनियम को स्पष्ट करते हुए गूगल पर भाषण दिया “।



राजनीति में पदार्पण
२ अक्टूबर २०१२ को अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी। उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी, जो अब “अण्णा टोपी” भी कहलाने लगी है, पहनी थी। उन्होंने टोपी पर लिखवाया, “मैं आम आदमी हूं।” उन्होंने २ अक्टूबर २०१२ को ही अपने भावी राजनीतिक दल का दृष्टिकोण पत्र भी जारी किया।


राजनीतिक दल बनाने की विधिवत घोषणा के साथ उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी जो नेहरू परिवार की उत्तराधिकारी और संप्रग की मुखिया हैं, के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और भूमि-भवन विकासकर्ता कम्पनी डीएलएफ के बीच हुए तथाकथित भ्रष्टाचार का खुलासा किया और बाद में केन्द्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुई खुर्शीद के ट्रस्ट के खिलाफ आन्दोलन भी छेड़ा।


आम आदमी पार्टी का गठन
आम आदमी पार्टी के गठन की आधिकारिक घोषणा अरविंद केजरीवाल एवं लोकपाल आंदोलन के बहुत से सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली स्थित स्थानीय जंतर मंतर पर की गई।