15 फरवरी 1952 को दिल्ली में जन्मे हरदीप भारतीय विदेश सेवा के 1974 बैच के अधिकारी हैं और 2014 में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारतीय जनता पार्टी के रूख से प्रभावित होकर उन्होंने भगवा पार्टी में शामिल होने का फैसला किया. अपने छात्र जीवन से ही उन्होंने नेतृत्व क्षमता और अपनी बात को पुरजोर तरीके से रखने का हुनर सीख लिया था और उनका यह गुण हर जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाने में उनके काम आया.
मोदी सरकार में शामिल किए जाने वाले चेहरों में भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हरदीप पुरी का भी नाम है, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति का माहिर माना जाता है और तकरीबन 40 साल के अपने राजनयिक जीवन के दौरान वह कई देशों में भारत के राजदूत के तौर पर अपनी सेवाएं देने के अलावा संयुक्त राष्ट्र में अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं.
अपने लंबे राजनयिक जीवन में हरदीप को कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष पूरी मजबूती से रखने का श्रेय जाता है. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय विदेश सेवा का रूख किया और इस दौरान जेपी आंदोलन में भी सक्रिय रहे. वह कुछ समय तक सेंट स्टीफन कॉलेज में व्याख्याता भी रहे.
हरदीप पुरी ने 1988 से 1991 के दौरान ब्राजील, जापान, श्रीलंका और ब्रिटेन में महत्वपूर्ण राजनयिक जिम्मेदारियां निभाईं. वह न्यूयार्क स्थित अन्तरराष्ट्रीय शांति संस्थान के उपाध्यक्ष रहे और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि के रूप में अपनी सेवाएं दीं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में हरदीप ने विश्व संगठन की आतंकवाद निरोधक समित और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में भारत के हितों का पूरी ईमानदारी से संरक्षण किया.
विदेश सेवा में रहते हुए हरदीप सिंह पुरी जेपी आंदोलन में भी हिस्सा ले चुके हैं. 65 वर्षीय पुरी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर न्यूयार्क (2009-2013) और जेनेवा (2002-2005) में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
हरदीप पुरी को राजनयिक जीवन में कई मौकों पर दुनिया के सामने भारत का पक्ष पूरी मजबूती से रखने के लिए जाना जाता है.