Rajnath Singh Biography In Hindi

Rajnath Singh का जन्म 10 जुलाई 1951 को वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था | इनके पिता का नाम – रामधन सिंह And माता का नाम – गुजराती देवी था | इनका धर्म हिन्दू है और ये राजपूत जाति से तालुक रखते है |


इनकी Wife का नाम सावित्री सिंह है इनकी शादी 1971 में हुई थी | इनके 3 बच्चे है जिनमे 2 लड़के जिनका नाम पंकज सिंह जो एक राजनीतिज्ञ है और दूसरे बेटे का नाम नीरज सिंह है और 1 लड़की जिसका नाम अनामिका सिंह है |


शुरूआती जीवन (Rajnath Singh Personal Life)
गोरखपुर विश्वविद्यालय से इन्होने भौतिक विज्ञान में मास्टर डिग्री की. अपने करियर की शुरुआत में राजनाथ सिंह भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर थे. अपने छात्र जीवन में ये एक हिन्दू संगठन से जुड़े 13 साल की उम्र में ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. 1969 से लेकर 1971 तक ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के संगठनात्मक सचिव रहे.


राजनीतिक जीवन (Rajnath Singh Political Career)


दो साल बाद राजनाथ सिंह ने राजनीति में कदम रखा वे 1975 की एमरजेंसी में गिरफ्तार हुए और उन्हें 2 साल तक हिरासत में रखा गया. वे सार्वजनिक कार्यालय के लिए उत्तरप्रदेश राज्य के विधायक के निचले सदन के लिए चुने गए.


अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने से पहले कॉलेज के प्रोफेसर रह चुके राजनाथ सिंह बीजेपी के दूसरी बाद अध्‍यक्ष नियुक्‍त हुए. पार्टी में राजनाथ सिंह के कद का पता इस बात से चलता है कि इससे पहले यह उप‍लब्धि केवल अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्‍ण आडवाणी के पास ही था. बनारस के पास चंदौली जिले में जन्‍मे राजनाथ एक कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते रहे हैं.


बीजेपी के मातृ संगठन के रूप में मशहूर आरएसएस से राजनाथ की करीबी जगजाहिर है. आरएसएस के साथ उनके बेहतर रिश्‍ते का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्‍ना प्रकरण के बाद संघ ने राजनाथ को ही पार्टी के अध्‍यक्ष के रूप में जिम्‍मेदारी सौंपी थी.


कम लोगों को ही पता होगा कि 10 जुलाई 1951 को जन्‍मे राजनाथ ने गोरखपुर विश्‍वविद्यालय से भौतिकी विषय में प्रोस्‍ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. उसके बाद 1971 में केबी डिग्री कॉलेज में वह प्रोफेसर नियुक्‍त किए गए.


इमरजेंसी के दौरान कई महीनों तक जेल में बंद रहने वाले राजनाथ सिंह को 1975 में जन संघ ने मिर्जापुर जिले का अध्‍यक्ष बनाया.


यूपी में शिक्षा मंत्री के तौर पर किए गए कामों को लेकर आज भी राजनाथ सिंह का फैसला काबिल-ए-तारीफ है. 1991 में उन्‍होंने बतौर शिक्षा मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्‍ट लागू करवाया था. साथ ही वैदिक गणित को तब सिलेबस में भी शामिल करवाया था.



अपने सभी भाषण हिंदी में देने वाले राजनाथ सिंह 20 अक्‍टूबर 2000 में राज्‍य के मुख्‍यमंत्री बने. हालांकि उनका कार्यकाल 2 साल से भी कम समय के लिए रहा. केंद्र में जब वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार बनी तब राजनाथ सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था. उन्‍होंने यूपी के बेरोजगारी की समस्‍या और उसके निदान नामक एक पुस्‍तक भी लिखी है.


अपने कामों को बखूबी और अंजाम तक पहुंचाने वाले राजनाथ से बीजेपी उम्‍मीद करेगी कि वह 2014 में पार्टी के चुनाव चिन्‍ह कमल को होर्डिंग बोर्ड से निकालकर आम जनता के दिलों में भी खिला पाएगी.


भाजपा में रहकर राजनाथ सिंह का करियर उबरता हुआ सबके सामने आया. उन्होंने दुसरे राजनेताओं से नेतृत्व के गुण सीखे. 1994 वे बाद में राज्यसभा के सदस्य बने. वे 1997 में भाजपा के उत्तरप्रदेश राज्य के अध्यक्ष बने. 1999 में उन्हें भूतल परिवहन मंत्री बनाया हाईवे को छोटे गांवों तक पंहुचाना उस समय उनका लक्ष्य था.


सन 2000 में राजनाथ सिंह को उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका कार्यकाल डेढ़ साल से भी कम रहा. 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार बनाने में नाकामयाब रही और उन्हें अपने पद को त्यागना पड़ा. वे एक बार फिर से राष्ट्रीय स्तर पर आ गये. उन्हें देश का कृषि मंत्री बनाया गया पर 2004 में भाजपा अपनी सरकार गँवा बैठी. 2005 में राजनाथ सिंह को भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया. हिंदुत्व सिद्धांतो से वे पार्टी को रास्ते पर लाना चाहते थे.


2009 के चुनाव में जब भाजपा को बहुमत नहीं मिली तब इन्होने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ दिया लेकिन उन्होंने 2013 में एक लोकसभा सीट जीती और फिर से भाजपा के पार्टी अध्यक्ष बने. अध्यक्ष बनने के बाद सिंह ने धार्मिक मुद्दों पर ध्यान दिया जैसे कि वे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए स्वतंत्र रूप से हिन्दुओं की तरफ से बोले.


उन्होंने कहा की भारत में अंग्रेजी का उपयोग देश की संस्कृति को ख़त्म कर रहा है तब एक विवाद सा छिड़ गया था. 2014 में जब भाजपा लोकसभा चुनाव जीती तब उन्हें गृहमंत्री बनाया गया.