सर्बानंद सोनोवाल का जन्म असम के डिब्रुगढ़ में 31 अक्टूबर 1962 में हुआ, असम के १४ वें मुख्यमंत्री हैं। वे भारत की सोलहवीं लोकसभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे असम की लखीमपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए। है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया। मई २०१६ में हुए असम विधान सभा चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। चुनावों में पार्टी के विजयी होने के बाद सोनोवाल ने २४ मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
शिक्षा
सोनोवाल विधि स्नातक हैं और ये छात्र जीवन के दौरान छात्र राजनीति में भी संलग्न रहे। वर्ष 1996 से 2000 तक ये पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एन.ई.एस.ओ) के अध्यक्ष भी रहे।
करियर
सर्बानंद सोनोवाल के पास छात्र राजनीति का भी व्यापक अनुभव है। वे असम गण परिषद के स्टूडेंट विंग ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और पूर्वोत्तर के राज्यों में असर रखने वाले नॉर्थ इस्ट स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा में जुड़ने से पूर्व असम गण परिषद के सदस्य थे। उन्हें असम का जातीय नायक भी कहा जाता है। वर्ष 2001 में वे असम गण परिषद के उम्मीदवार के रूप में सर्वप्रथम विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा वर्ष 2004 में प्रथम बार लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
मोरान से विधायक और बाद में डिब्रुगढ़ और लखीमपुर से सांसद रहने के साथ ही वे असम में गृह मंत्री और उद्योग-वाणिज्य मंत्री का नेतृत्व सँभाल चुके हैं। वे निजी तौर पर फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं। पूर्वोत्तर में फुटबॉल प्रेम के प्रभाव से कोई अपरिचित नहीं होगा। वर्ष 2011 में वे असम गण परिषद से अलग हो गए तथा भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए। उनके बीजेपी में आते ही उन्हें कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया और वे असम बीजेपी के प्रवक्ता भी रहे।
वे वर्ष 2012 और 2014 में दो बार असम भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। 2014 में संपन्न 16 वें लोकसभा के चुनाव में वे लखीमपुर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय मंत्रीमंडल में उन्हें खेल एवं युवा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया था। केंद्रीय खेल मंत्री के रूप में इनका कार्यकाल 26 मई 2014 से 23 मई 2016 तक रहा।
अवैध घुसपैठ के विरुद्ध पहल
असम में बांग्लादेश के नागरियों का अवैध स्थानांतरण हमेशा से ही विवादित रहा है। बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में आने से रोकने के लिए इल्लीगल माइग्रैंड्स डिटर्मिनेशन बाई ट्राइब्युनल एक्ट 1983 अस्तित्व में आया। यह एक्ट भारत सरकार और ऑल स्टु़डेंट यूनियन के बीच हुआ था। इस एक्ट के खिलाफ लंबे समय से एंटि फॉरेन आंदोलन का चल रहा था। इस एक्ट के अनुसार असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को असम में रहने की अनुमति दी गयी थी। यह कानून उन विदेशी नागरिकों पर लागू होता है जो 25 मार्च 1971 के बाद असम में बसे थे। उन्होने ही असम में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की अगुवाई की और कोर्ट ने इस एक्ट को खत्म करने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस कानून को गलत ठहराया और बांग्लादेशी नागरिकों को असंवैधानिक करार दिया। इन हालातों में उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी पूरा समर्थन मिला।