जैसा के हम सभी अक्सर ही देखते है के कई बड़े स्टार्स या सेलेब्रिटी अपनी ज़िन्दगी के कई ऐसे राज़ दुनिया से छुपाकर रखते है जिन्हे आम जनता कभी नही जान पाती और वो राज़ दबे ही रह जाते है। अपनी अंधी-बहरी चकाचौंध से ये स्टार्स सभी को लुभाते रहते है। वो अक्सर कहा जाता है न कोई सफलता की कितनी भी उच्चाईयों पर क्यों न पहुंच जाये कोई, परन्तु उसका अतीत कभी भी उसका पीछा नही छोड़ता है।
एक ऐसी ही व्यक्ति के बारे आज हम आपको बताने जा रहे है जिसमे अपने परिवार को संभालने के लिए बहुत कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उस इन्सान ने ना केवल अभिनय के क्षेत्र में पहचान बनायीं बल्की राजनीत में भी अपने काबिलियत पर बड़ी उपलब्धि हासिल की।
जिस व्यक्ति के बारे में यहा पर बताया जा रहा वह आज हमारे देश की कपड़ा मंत्री है। देश की कपड़ा मंत्री का नाम लेने पर अब आप जान ही गए होंगे की यहापर किसकी बात हो रही है। हम बात कर रहे है देश की कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी की। तो चलिए जानते है उनकी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।
अपना परिवार चलाने के लिए उन्होंने 10 की पढाई के बाद ही काम करना शुरू कर दिया था। वह शुरू में सौंदर्य उत्पाद का प्रचार करती थी उसके लिए उन्हें रोजाना 200 रुपये मिलते है। लेकिन उनके नसीब में कुछ और ही लिखा था।
ग्लैमर की दुनिया से वह काफी प्रभावित हुई थी और उसके बाद उन्होंने फैसला लिया की उन्हें आगे बढ़ना है, मध्यम वर्ग से उन्हें छुटकारा पाना है।
1998 में उन्होंने फैसला लिया की उन्हें मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लेना है लेकिन वह अंतिम मुकाबले में पहुच ही नहीं पायी। आखिरकार उन्होंने मुंबई में जाकर एक नए करियर की शुरुवात करने का फैसला लिया। खुद के जरूरतों के पूरा करने के लिए उन्होंने मैकडोनाल्ड में भी काम किया। उसी दौरान उन्होंने मनोरंजन जगत में ऑडिशन देना शुरू कर दिया था।
स्मृति ईरानी ने 2001 में जुबिन ईरानी नामक पारसी व्यवसायी से शादी की। शादी के बाद उन्हें दो बच्चे हुए अक्तूबर 2001 में उन्होंने एक लड़के को जन्म दिया उसका नाम जोहर है। उसके दो साल बाद उन्हें एक लड़की हुई जिसका नाम जोइश है।23 मार्च 1977 को जन्मी स्मृति ईरानी का ताल्लुक एक पंजाबी परिवार से है. इनके पिता अजय कुमार मल्होत्रा का जहां एक पंजाबी परिवार से ताल्लुक था. वहीं इनकी मां शिबानी एक बंगाली परिवार से आती थी. स्मृति ईरानी तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं.
स्मृति ईरानी की शिक्षा
दिल्ली में जन्मी स्मृति ईरानी ने नई दिल्ली में हॉली चाइल्ड औक्सिलियम स्कूल से अपनी 12वीं कक्षा की पढ़ाई की हुई है. जबकि उन्होंने अपनी डिग्री दिल्ली विश्वविद्यालय से हासिल की हुई है.
स्मृति ईरानी का परिवार
स्मृति ने 2001 में अपने बचपन के दोस्त जुबिन ईरानी से विवाह किया था. जुबिन ईरानी एक व्यापारी हैं और स्मृति के साथ उनकी ये दूसरी शादी है. वहीं इस शादी से इन दोनों के दो बच्चे हैं, एक लड़का और एक लड़की. लड़के का नाम जोहर है जबकि लड़की का नाम ज़ोईश है.
स्मृति ईरानी का बतौर अभिनेत्री करियर
स्मृति ईरानी अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिल्ली शहर को छोड़ मुंबई शहर में 1990 के दशक में आ गई. मुंबई में स्मृति ईरानी ने 1998 में फेमिना मिस इंडिया सुंदरता प्रतियोगिता में भाग लिया. हालांकि वो इस प्रतियोगिता को जीत नहीं पाई, मगर उन्होंने शीर्ष फाइनलिस्ट में अपनी जगह बना ली. स्मृति ईरानी गायक मिका सिंह के साथ एक गाने में भी नजर आई हैं. लेकिन स्मृति ईरानी को सही पहचान एकता कपूर के द्वारा बनाए गए नाटक 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' से मिली है. इस नाटक में स्मृति ने तुलसी नाम की महिला का किरदार निभाया था. ये नाटक लोगों द्वारा बेहद ही पसंद किया गया था. ये नाटक 3 जुलाई 2000 से 6 नवंबर 2008 तक चला था.पहले के समय में स्मृति मल्होत्रा को पैसो की बहुत तंगी थी और वे बहुत ही गरीब थी। और इस वजह से मॉडलिंग का खर्च पूरा नहीं हो पाता था लिहाज़ा वो एक रेस्टरां में काम करने लगी थी। जिससे उनका खर्चा पूरा हो सके।
उसी रेस्टरां में नौकरी करते वक्त स्मृति की मुलाकात एक अमीर पारसी लड़की से होती है जो उसकी खास दोस्त बन जाती है।उसकी दोस्ती एक ऐसी महिला से हो गई जिसने स्मृति की जिन्दगी ही बदल दी वह महिला बहुत ही ज्यादा रईस खानदान की थी और बहुत सीधी-साधी और साफ दिल की थी। वो स्मृति को बहुत मानती थी। उसका नाम मोना ईरानी था। वो बहुत ही आमिर और पैसे वाली थी मोना अरबपति खानदान की बहु थी और उसकी एक बेटी थी। उस दौरान स्मृति मल्होत्रा पैसो को लेकर बहुत परेशान थी। स्मृति के पास कई बार फ्लैट का किराया देने का पैसा भी नहीं होता था।
अपनी दोस्त की तकलीफों को देखकर दिल पिघल जाता है और वो उसे कहती है कि तुम हमारे घर चलो और जब तक तुम अच्छे से सेटल नही हो जाती हो तब तक हमारे साथ हमारे घर पर ही रहो। लेकिन मोना नहीं जानती थी कि एक दिन इसी दोस्त के कारण उसे अपना यही घर छोड़ना पड़ जाएगा।
स्मृति मल्होत्रा सहेली मोना के घर पर ही रहने लगी थी। वहां उसे पता चलता है की ये पारसी कोई मामूली नही बल्कि फिरोज शाह गोदरेज का भांजा है और टाटा खानदान में इसकी बहन की शादी हुई है। गोवा, मुम्बई, नवसारी और अहमदाबाद में इनकी कई हजार करोड़ों की प्रोपर्टीज है। फिर वो अपनी उसी सहेली मोना ईरानी के पति के नजदीक आने लगती है जिसने उसकी तकलीफों को देखते हुए उसे एक आलीशान घर में रहने के लिए जगह दी थी।इसी के बाद से शुरू हुआ अपनी ही सहेली को धोखा देने का खेल। स्मृति ने धीरे-धीरे जुबिन ईरानी को अपने प्रेम के जाल में फंसा लिया और मोना ईरानी की बसी बसायी गृहस्थी उजाड़ डाली।
जुबिन ईरानी एक अभिनेत्री के रूप जाल में फंसता चला गया और उसने अपनी पत्नी मोना ईरानी को तलाक देकर उस स्मृति मल्होतरा से शादी कर ली और उस सहेली मोना ईरानी को अपने ही घर से निकलना पड़ गया। ये साल 2001 में स्मृति ने शादीशुदा जुबिन ईरानी पारसी से शादी की और उसी साल उन्हें एक बेटा भी हुआ, जिसका नाम 'जौहर' है। इतने बड़े खानदान में शादी के बाद स्मृति की सफलता के दरवाजे खुलते गये। उनको बड़े-बड़े सीरियलों में काम मिलता गया। इसके बाद उनको भाजपा में भी एंट्री मिल गयी और धीरे-धीरे स्मृति ने बहुत तरक्की कर ली।
वहीं 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' नाटक के अलावा स्मृति ईरानी ने ओर भी कई सारे नाटकों में अपना अभिनय दिखाया है. जैसे 'क्या हादसा क्या हकीकत', 'रामायण', 'मेरे अपने' और इत्यादि. इतना ही नहीं उन्होंने बंगाली, हिंदी और तेलुगू भाषा की कुछ फिल्मों में भी काम किया है. स्मृति ने कई सारे रंगमंच (थिएटर) में भी कार्य किया है.
स्मृति ईरानी को मिले पुरस्कार
'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' सीरियल के लिए स्मृति को कुल नौ पुरस्कार मिल चुके हैं. इतना ही नहीं उनके एक और सीरियल “विरुद्ध” के लिए उन्हें बेस्ट अभिनेत्री का पुरस्कार 2010 में दिया गया था.
स्मृति ईरानी का राजनीति करियर
स्मृति ईरानी ने साल 2003 में अपने राजनीति में कदम रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी को चुनना उचित समझा. कहा जाता है कि स्मृति के दादा आरएसएस (RSS) के सदस्य थे. वहीं 2004 में स्मृति ईरानी को पार्टी द्वारा महाराष्ट्र युवा विंग के उपाध्यक्ष का पद सौंपा गया और यहां से शुरू हुआ स्मृति ईरानी का राजनीति करियर आज एक नए मुकाम पर पहुंच चुका है. अपने इस 19 साल के सफर में स्मृति ईरानी ने पार्टी की तरफ से दी गई कई सारी अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं. इतना ही नहीं साल 2014 में देश में हुए लोकसभा के चुनाव के लिए बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी के उस समय के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के विरुद्ध स्मृति ईरानी को खड़ा किया था. हालांकि इस चुनाव में स्मृति को राहुल गांधी से हार मिली थी. लेकिन बीजेपी को इन चुनाव में मिली जीत के बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्री बना दिया गया.
स्मृति ईरानी से जुड़े विवाद
स्मृति ईरानी से जुड़े विवादों को सूची काफी लंबी है. स्मृति को अक्सर उनके फैसलों और दिए गए बयानों के चलते कई बार विवादों का सामना करना पड़ा है. वहीं नीचे स्मृति ईरानी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विवादों के बारे में बताया गया है.
मोदी पर किया था हमला-
साल 2004 में स्मृति ने नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा था, कि उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री का पद को छोड़ देना चाहिए. स्मृति ने गुजरात दंगों को लेकर कहा था कि नरेंद्र मोदी को इस्तीफे दे देना चाहिए. वहीं स्मृति के इस बयान से पार्टी काफी नाराज हुई थी और पार्टी ने स्मृति को अपना बयान वापस लेने को कहा था. जिसके बाद स्मृति ने पार्टी की कार्यवाही से बचने के लिए अपने इस बयान को वापस ले लिया था.
डिग्री को लेकर विवाद
स्मृति ईरानी को सबसे ज्यादा जिस विवाद ने परेशान किया, वो उनकी डिग्री को लेकर था. दरअसल स्मृति ईरानी ने सन् 2004 के लोकसभा चुनावों के लिए भरे गए अपने हलफनामें में अपनी उच्च शिक्षा बी.ए बताई थी, जो कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से की थी. वहीं जब स्मृति द्वारा 2014 के लोकसभा में जो हलफनामा भरा गया था, उस हलफनामें में उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता बी.कॉम भरी थी. दो नामांकन में बताई गई अलग-अलग शैक्षिक योग्यता के कारण उनको काफी विरोध झेलना पड़ा था और ये मसला कोर्ट तक जा पहुंचा था. जिस समय स्मृति का ये विवाद हुआ था, उस समय उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री का पद संभाला हुआ था.
अध्यक्ष की नियुक्ति पर विवाद-
मानव संसाधन विकास मंत्री रहते हुए जिस दूसरे विवाद ने स्मृति को घेरा, वो नागपुर के विश्वेश्वराय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चुने गए अध्यक्ष को लेकर हुआ था. स्मृति पर आरोप लगाए गए था कि उन्होंने इस पद के लिए विश्राम जामदार को इसलिए चुना क्योंकि उनका ताल्लुक आरएसएस से है.
जर्मन और संस्कृत भाषा को लेकर विवाद-
बतौर मानव संसाधन विकास मंत्रालय रहते हुए स्मृति ईरानी द्वारा केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ाई जाने वाली जर्मनी भाषा को विषयों से अलग करने के फैसले पर भी काफी विवाद हुआ था. दरअसल स्मृति ने इन स्कूलों को 2014 में आदेश दिया था कि वो अपने स्कूल में जर्मनी भाषा की जगह बच्चों को संस्कृत भाषा पढ़ाएं. इतना ही नहीं इस मसले पर जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने नरेंद्र मोदी से बातचीत भी की थी.
रोहित वेमुला आत्महत्या विवाद-
हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति पर कई आरोप लगाए गए थे. स्मृति पर आरोप लगाया गया, कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने श्रम मंत्री बांदरू दत्तात्रेय और बीजेपी की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यालय परिषद (एबीवीपी) के द्वारा की गई शिकायत पर हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति को वेमुला सहित दलित छात्रों के खिलाफ कठोर कदम उठाने को कहा था. जिसके कारण इस छात्र ने आत्महत्या कर ली थी.
पार्टी में कई बार बदला गया पद
2014 में बीजेपी के सत्ता में आते ही स्मृति ईरानी को मोदी की कैबिनेट में जगह दी गई थी. उन्हें पार्टी द्वारा देश का मानव संसाधन विकास मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया था. वहीं कुछ समय के बाद उनसे ये मंत्रालय वापस ले लिया गया था और इसके साथ उनको कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. लेकिन फिर कुछ समय बाद स्मृति ईरानी को देश का सूचना और प्रसारण मंत्रालय सौंपा गया था, जिसकी वो अभी मंत्री हैं.