आज शुरू हो रहे बजट सत्र के हंगामेदार रहने के आसार, सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार सरकार

, नई दिल्ली। संसद के शुक्रवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में होने वाले सियासी संग्राम की आहट गुरूवार को सरकार की बुलाई सर्वदलीय बैठक में साफ दिखाई पड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां सीएए-एनआरसी और अर्थव्यवस्था समेत सभी मुद्दों पर खुली चर्चा की पेशकश कर गेंद विपक्ष के पाले में डाला। वहीं विपक्षी दलों ने सदन का सत्र छोटा कर चर्चा के वादे से मुकरने की बात उठा साफ कर दिया कि वे महज आश्वासनों पर भरोसा नहीं करेंगे।



साथ ही नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध कर रहे लोगों से बातचीत नहीं करने के सरकार के रुख को उसका घमंड बताते हुए विपक्षी पार्टियों ने संसद में इस पर घमासान के अपने इरादों का भी संकेत दे दिया। सियासी विवाद के बड़े मुद्दों के बीच सरकार ने भी सत्र में 45 विधेयक लाने के अपने एजेंडे का भी ऐलान किया। बजट सत्र में सियासी संग्राम थामने और सदन सुचारू रुप से चलाने के लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी देर शाम सभी दलों के साथ बैठक की।


राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होगा संसद सत्र


बजट सत्र की शुरूआत शुक्रवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से होगी। सरकार शुक्रवार को ही संसद में आर्थिक सर्वे का आकलन रखेगी। आम बजट शनिवार एक फरवरी को लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। बजट सत्र के सुचारू संचालन के लिए सरकार की ओर से यह सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी जिसमें पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने एजेंडे साफ कर दिए। संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी के अनुसार प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि सभी मुद्दों पर सार्थक और समृद्ध खुली बहस होनी चाहिए और सरकार इसके लिए तैयार है। अर्थव्यवस्था को लेकर पीएम ने कहा कि इसे वैश्विक संदर्भ के नजरिये से देखना चाहिए कि भारत इसका फायदा कैसे उठा सकता है।


प्रधानमंत्री ने बैठक में आए सुझावों का स्वागत करते हुए संसद के कामकाज की उत्पादकता बढ़ाने पर फोकस रखने की बात कही। साथ ही मोदी ने कहा कि बीते दो सत्रों के दौरान संसद ने खूब कामकाज कर लोगों का सकारात्मक रवैया अर्जित किया है और जनप्रतिनिधि के नाते सदन की उत्पादकता में इजाफा करना हमारी जिम्मेदारी है।


सर्वदलीय बैठक को गुलाम नवी आजाद ने कहा- खानापूर्ति


पीएम की मुद्दों पर बहस की पेशकश पर विपक्षी दलों ने कहा कि सरकार हर सत्र में ऐसा वादा करती है मगर चर्चा के लिए समय नहीं दिया जाता और सत्र की अवधि लगातार घटाई जा रही है। राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बैठक में कहा कि सरकार चर्चा की बात कहती है लेकिन उसका विरोधाभास बार-बार सामने आता है। सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर देश भर में विरोध कर रहे लोगों से वार्ता नहीं करने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार के अहंकार को दर्शाता है। आजाद ने तो यहां तक कह दिया कि सर्वदलीय बैठक बुलाने की सरकार की यह खानापूर्ति समय की बर्बादी ही है क्योंकि हकीकत में इसे इतर सरकार देश में बिखराव पैदा करने वाले काम करती है। दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं ने भी आजाद की इस राय से सहमति जताई।


 


सर्वदलीय बैठक में उठा सीएए-एनआरसी, जम्मूकश्मीर व दिल्ली चुनाव का मुद्दा


कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने दिल्ली चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के भड़काऊ आपत्तिजनक बयानों की बात उठाते हुए पीएम से इसे रोकने के लिए दखल देने को कहा। इस गरम चर्चा के दौरान ही विपक्षी दलों ने चार मुख्य मुद्दों पर सत्र में बहस की अपनी मांग रख दी। इसमें सीएए-एनआरसी के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन, रोजगार और अर्थव्यवस्था की स्थिति, जम्मू-कश्मीर के गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्रियों की रिहाई और संघीय व्यवस्था पर प्रहार का मुद्दा शामिल है। विपक्ष के मुताबिक राज्यों की जीएसटी की राशि केंद्र के रोक कर रखने और राज्यपालों के सूबों में बढ़ते हस्तक्षेप संघीय व्यवस्था पर प्रहार हैं।


 


11 फरवरी तक चलेगा सत्र, 45 बिल लाएगी सरकार


संसदीय कार्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से इन चार मुद्दों को उठाने की मांग की पुष्टि की मगर सरकार पर अहंकार के लगाए गए आरोप को खारिज कर दिया। जोशी ने कहा कि सीएए किसी भारतीय की नागरिकता से कोई छेड़छाड़ नहीं करता सरकार बार-बार स्पष्ट कर चुकी है और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को इन विरोध प्रदर्शनों में अपनी भूमिका पर आत्मचिंतन करना चाहिए। जोशी ने कहा कि सरकार दो अध्यादेशों से जुड़े विधेयक के साथ बजट सत्र में 45 बिल लाएगी। बजट सत्र का पहला चरण 11 फरवरी तक चलेगा जबकि सत्रावकाश के बाद दूसरे चरण दो मार्च से 3 अप्रैल तक चलेगा।