मुरैना: हाई कोर्ट की शर्त, पेड़ सूखे तो जाओगे जेल, रेप आरोपी करते हैं देखभाल

मुरैना
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक अनोखा जंगल है, जिसकी रखवाली गंभीर मामलों में जमानत पाए आरोपी कर रहे हैं। यहां बने पितृवन में ऐसे करीब 200 पौधे लगाए जा चुके हैं। पौधे ठीकठाक हैं, उनमें ठीक से विकास हो रहा है या नहीं, ये देखने खुद स्थानीय पुलिस आती है। दरअसल इन पेड़ों को आपराधिक मामलों में जमानत पाए आरोपियों ने हाई कोर्ट के आदेश पर लगाया है। इन पेड़ों के रख-रखाव में लापरवाही बरती जाती है या कोई पेड़ सूखता है, तो आरोपी की जमानत रद्द हो जाएगी। कोर्ट की यह शर्त ही इनके 'पर्यावरण प्रेम' की सबसे बड़ी वजह है।



मुरैना की देवरी पंचायत के अंतर्गत बने पितृवन में जमानत पाए आरोपियों ने लगभग 200 पेड़ लगाए हैं। उदाहरण के तौर पर पिछले साल जुलाई में हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में रेप के आरोपी को जमानत देते समय आरोपी को पितृ वन में 10 पौधे लगाने का आदेश दिया।  उसे उन पौधों की देखभाल भी करनी होगी और उन्हें जीवित रखना होगा और हर महीने उन पौधों की फोटो कोर्ट में पेश करनी होगी। अगर एक भी पौधा सूखता है तो आरोपी की जमानत निरस्त हो जाएगी।

मशहूर है जस्टिस आनंद पाठक का यह अनोखा तरीका

जस्टिस आनंद पाठक का जमानत याचिकाओं पर फैसला देने का यह अनोखा तरीका है। पिछले साल सितंबर से दिसंबर के बीच भी उन्होंने ऐसी कुछ और जमानत याचिकाओं पर भी ऐसे ही फैसले दिए हैं, जिनमें पितृवन में पौधे लगाना या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सेवाएं देने जैसी शर्त शामिल होती हैं।

समिति जारी करती है पेड़ों का 'फिटनेस सर्टिफिकेट'
मुरैना की कल्पवृक्ष सेवा समिति के अध्यक्ष अतुल माहेश्वरी ने स्थानीय अखबार से बातचीत में बताया कि पितृ वन में जमानत के तौर पर न्यायालय के आदेशों पर पौधे लगाए जाते हैं। पौधे ठीक से लगे हैं और उनकी बराबर देखभाल हो रही है या नहीं, इस बात का सर्टिफिकेट समिति जारी करती है। पुलिस भी आकर पौधों को देखती है। कोर्ट की शर्त है कि पौधे खराब होने पर जमानत निरस्त मानी जाए, इसलिए जमानत पर बाहर आए आरोपी श्रमदान करते हैं और पौधों का पूरा ध्यान रखते हैं।