सरकार ने एयर इंडिया में 100 फीसदी विनिवेश को दी मंजूरी, 17 मार्च 2020 तक लगाई जा सकती हैं बोलियां

भारत सरकार ने एयर इंडिया (AI)  में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां मंगाई है। बोलियां लगाने की आखिरी तारीख 17 मार्च 2020 है। सरकार ने सब्सिडियरी कंपनी एअर इंडिया एक्सप्रेस और एयरपोर्ट सर्विस कंपनी AISATS को भी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की है।  सरकार  Air India Express से भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। वहीं सब्सिडियरी कंपनी एयरपोर्ट सर्विस कंपनी ( AISATS ) में अपना 50 फीसद हिस्सा बेचने के लिए मोदी सरकार ने बोलियां आंमत्रित की है। एयरलाइन के प्रबंधन पर नियंत्रण सफल बोली लगाने वाले को हस्तांतरित किया जाएगा। इससे पहले एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के ड्राफ्ट को GOM की बैठक में मंज़ूरी दी गई थी और इस महीने के आखिर तक इसे जारी करने की बात निकलकर सामने आई थी।



उस बैठक में नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि बैठक अच्छी हुई है और जल्द इसपर बयान जारी किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले भी हरदीप सिंह पुरी एयर इंडिया के निजीकरण की बात कह चुके हैं। उन्होंने पहले कहा था कि कुछ समय से एयर इंडिया का कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसे अब जारी नहीं रखा जा सकता है।


उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया की देनदारी बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है तथा उसे पिछले साल रोजाना 22 से 25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी उसके विनिवेश का प्रयास किया गया था, लेकिन उस समय कंपनी को खरीदने के लिए कोई खरीददार सामने नहीं आया। पिछले साल दुबारा सत्ता में आने पर पहले ही बजट में सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह एक बार फिर एयर इंडिया के विनिवेश का प्रयास करेगी।


 साल 2000 तक मुनाफे में रही देश की सबसे बड़ी एयर लाइंस का कर्ज के तले कैसे डूब गई...



  • एयर इंडिया को सबसे पहले जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से लॉन्च किया था। इसका नाम 1946 में बदल कर के एयर इंडिया कर दिया गया और 1953 में सरकार ने इसको टाटा से खरीद लिया था। 

  • साल 2000 तक यह मुनाफे में चलती रही। 2001 में कंपनी को 57 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। 

  •  2007 में केंद्र सरकार ने एयर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय किया। 

  • दोनों कंपनियों का विलय के वक्त संयुक्त घाटा 770 करोड़ रुपये था, जो विलय के बाद बढ़कर के 7200 करोड़ रुपये हो गया। 

  • एयर इंडिया ने घाटे की भरपाई के लिए अपने तीन एयरबस 300 और एक बोइंग 747-300 को 2009 में बेच दिया था। 

  • मार्च 2011 में कंपनी का कर्ज बढ़कर के 42600 करोड़ रुपये और परिचालन घाटा 22000 करोड़ रुपये का हुआ था। 

  • इस समय करीब 58 हजार करोड़ के कर्ज में दबी एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,400 करोड़ रुपये का जबरदस्त घाटा हुआ है। 

  • केंद्र सरकार,  एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने जा रही है।

  • लगातार विनिवेश की कोशिश में नाकाम एकमात्र सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया अपना खर्च चलाने को 2,400 करोड़ रुपये कर्ज लेने की तैयारी में है। 

  • एयर इंडिया को एक महीने में 300 करोड़ रुपये कर्मचारियों को वेतन के रूप में देने होते हैं। 

  • इस वित्त वर्ष एयर इंडिया 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान करने पर काम कर रही है। इसके लिए कंपनी ने सरकार से मदद मांगी है।

  • एयर इंडिया को ज्यादा ऑपरेटिंग कॉस्ट और विदेशी मुद्रा में घाटे के चलते भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।

  • इन हालातों में एयर इंडिया तेल कंपनियों को ईंधन का बकाया नहीं दे पा रही है।  

  • हाल ही में तेल कंपनियों ने ईंधन सप्लाई रोकने की भी धमकी दी थी। लेकिन फिर सरकार के हस्तक्षेप से ईंधन की सप्लाई को दोबारा शुरू कर दिया गया था।