कनॉट प्लेस पर हजारों लोगों ने निकाला शांति मार्च, दंगा पीड़ित भी हुए शामिल, सुनाया अपना दर्द

29 फरवरी, शनिवार, गोलू अभी महज डेढ़ वर्ष का है। किसी की मौत क्या होती है इसे उसका कुछ पता नहीं। इस उम्र में पता होता भी नहीं। दिल्ली में हुई हिंसा ने उसके पिता को उससे छीन लिया है उसे इसकी भी खबर नहीं है। 24 फरवरी को दिल्ली के शिव विहार इलाके में दिनेश खटीक घर से उसके लिए दूध लेने निकले तो फिर वापस नहीं आए। 



हिंसक भीड़ ने उन्हें अपना शिकार बना लिया। सिर में गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। दिनेश खटीक के बड़े भाई सुरेश खटीक ने जंतर-मंतर पर दिल्ली पीस फोरम के शांति मार्च कार्यक्रम में जब परिवार की आपबीती बताई तो लोगों की आंखें भर आईं। 

हिंसक मानसिकता के खिलाफ आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली के दंगों में मारे गए लोगों के परिजन, हिंसा में घायल लोग, इकट्ठा हुए। किसी के भाई, किसी के जीजा तो किसी के अन्य परिजन की हत्या की गई। हिंसा में घायल हुए लोगों ने भी अपनी आपबीती सुनाई।

ऐसे ही भजनपुरा चौराहे पर कैप्टन कटोरा नाम से रेस्टोरेंट चलाने वाले कमल शर्मा की बातें आंखें खोलने वाली रही। हिंसक भीड़ ने उनके दो रेस्टोरेंट को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने बताया कि जो लोग वर्षों से उनके रेस्टोरेंट में खाना खाने आते थे वही लोग उस रेस्टोरेंट को आग लगा रहे थे। उन्होंने ऐसे लोगों की पहचान सीसीटीवी के फुटेज के जरिए की।

शिव विहार के ही रहने वाले सुमित तिवारी के जीजा 32 वर्षीय आलोक तिवारी की हिंसक दंगाइयों ने सिर में गोली मार कर हत्या कर दी। वो करावल नगर में गत्ता फैक्ट्री में काम करते थे। अपने पीछे वो एक चार वर्ष का प्यारा बेटा और नौ वर्ष की बेटी छोड़ गए। इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनका अंतिम संस्कार भी आस पास के लोगों ने मिलकर किया है।

भजनपुरा चौराहे पर होराइजन नाम से हाई स्कूल से लेकर इंटर तक के बच्चों के लिए इंस्टीट्यूट चलाने वाले नवनीत गुप्ता ने बताया कि दंगाइयों ने उनके इंस्टीट्यूट में आग लगा दी। अंदर 35 बच्चे फंसे थे जिनमें 20 लड़कियां थीं। डेढ़ हजार से अधिक की संख्या में आए ये वो लोग थे जो पर पिछले 15 दिनों से सीएए के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने बताया कि ये लोग अचानक इतने हिंसक हो जाएंगे इसका उन्हें अंदाजा नहीं था। उन सभी के हाथों में बंदूक, तलवार, कुल्हाड़ी थी। पेट्रोल बम और पत्थर चला रहे थे। 

दिल्ली हिंसा के खिलाफ जंतर-मंतर पर एकजुट हुए लोगों ने शांति मार्च में भी हिस्सा लिया। हजारों लोगों ने हिंसा में बलिदान हुए दिल्ली पुलिस के सिपाही रतन लाल, आईबी के सुरक्षाकर्मी अंकित शर्मा और विनोद कश्यप को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

दिल्ली हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों ने जब हजारों की भीड़ के सामने अपने सगे सम्बन्धियों की मौत के बारे में बताया तो लोगों की आंखें भर आईं। शिव विहार के रहने वाले राहुल रुड़कीवाल ने बताया कि वह अपने ऑफिस में बैठे थे कि भीड़ ने आकर उन पर हमला किया। बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची।  

इस मौके पर दिल्ली पीस फोरम से जुड़े रिटायर्ड सेना के अधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि यह दंगा एक सोची समझी साजिश थी जिसे बहुत सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। इस मौके पर रिटायर्ड न्यायधीशों ने कहा कि देश का कानून इस बात की इजाजत नहीं देता कि कोई देश की सड़कों को रोक कर लाखों लोगों को पीड़ा पहुचाने का काम करे। 

वक्ताओं ने कहा कि देश में हिंसा फैलाने वालों से अगर सख्ती से नहीं निपटा गया तो उसके परिणाम घातक साबित होंगे। शांति मार्च में शिव विहार, चांदबाग, कबीरनगर, करावल नगर, भजनपुरा, मुस्तफाबाद में हिंसा के शिकार हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। शांति मार्च में जुटे लोगों ने कहा कि इन जिस सीएए कानून का यह लोग विरोध कर रहे है उस कानून का इन लोगों से कोई लेना देना नहीं है।

हिंसा के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि देने के बाद लोगों ने कनाट प्लेस में शांति मार्च निकाला। इसमें 15 पीड़ित स्वयं और उनके परिवार के सदस्य आए, 28000 लोगों ने इस मार्च में हिस्सा लिया जिसमें दिल्ली के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली 500 से अधिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया। दिल्ली पीस फोरम ने दिल्ली के उप राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा। दिल्ली पीस फोरम में सेवानिवृत उच्च सैन्य अधिकारी, आईएएस और हाईकोर्ट जज जैसे और प्रमुख लोग शामिल हैं, इसकी अध्यक्षता जस्टिस एम सी गर्ग ने की।