कोरोना के आतंक पर सामना की संपादकीय में क्या-क्या लिखा गया, यहां जानें

मुंबई: शिवसेना  ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए विश्व और भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण की वजह से मचे हाहाकार पर चिंता जाहिर की है. सामना की संपादकीय में लिखा गया, 'महासत्ता के नाम से घूमनेवालों की मस्ती एक विषाणु ने उतार दी है. अमेरिका में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित हो गया है. कोरोना के कारण स्पेन में 120 साल बाद आपातकाल लागू किया गया है. पूरे विश्व में यही भयंकर स्थिति दिखाई दे रही है. सभी को भागने के लिए जमीन कम पड़ रही है. नाना पाटेकर का एक ‘डायलॉग’ इस समय सबको याद आ रहा होगा, ‘एक मच्छर साला आदमी को हिजड़ा बना देता है!’ कोरोना वायरस मतलब मच्छर नहीं है लेकिन इस वायरस ने सभी को असहाय और निराश कर दिया है. ट्रंप से लेकर मोदी तक सभी बेचैन और अस्थिर हो गए हैं. यह अस्थिरता संसार को कहां ले जाएगी?'



 


गौरतलब है कि कोरोना के डर के मारे लोग कोरोना के संक्रमण से मरे लोगों की अंतिम क्रिया करने के लिए भी तैयार नहीं हैं. इस पर सामना में लिखा है, 'कोरोना ने लोगों को भागने के लिए जमीन कम कर दी है. इटली की कहानी धक्कादायक है. एक अभिनेता ने सोशल मीडिया पर कहा है कि ‘कोरोना के कारण उसकी बहन की मौत हो गई, वह अपनी बहन के शव के पास एक कमरे में है. बहन का अंतिम संस्कार करने के लिए कोई उसकी मदद करेगा क्या?’ विश्व में कई जगह पर इसी प्रकार की घटना दिखाई दे रही हैं. बैंगलोर की एक नवविवाहित पति को कोरोना होने की जानकारी मिलते ही उसकी पत्नी अपनी जान बचाने के लिए पति को छोड़कर अपने मायके भाग गई. यह महिला अपने पति के साथ हनीमून मनाने के लिए इटली गई थी. वहां से वापस आने पर पति को कोरोना होने की बात सामने आई. इसके बाद महिला को विशेष कक्ष में रखा गया लेकिन वह पति को छोड़कर भाग गई. कोरोना की ऐसी ही दहशत पूरे विश्व में है.'


सामना में कोरोना से निपटने के लिए 1897 के पुराने महामारी वाले कानून का इस्तेमाल करने के लिए चिंता जताई है. सामना की संपादकीय में लिखा है, 'यह संकट महामारी है. ‘महामारी’ इस शब्द का प्रयोग हमें भारी मन से करना पड़ रहा है. ‘कोरोना’ राष्ट्रीय आपदा के रूप में घोषित की गई है. कोरोना का मुकाबला करने के लिए 1897 मतलब महामारी कानून का उपयोग करना पड़ रहा है. यह कानून अंग्रेजों का था. प्लेग से मुकाबला करने के लिए इसी कानून का उपयोग हुआ और रैंड नामक अधिकारी ने इस कानून को अत्यंत निर्दयतापूर्वक लागू करने की शुरुआत की, उसी समय उसकी हत्या कर दी गई. वह अंग्रेजों का दौर था लेकिन आज इस कानून को अमल में लाते समय हमारे बीच का कोई ‘रैंड’ पैदा न हो, इसका ध्यान रखना होगा. राज्य सरकार ने सतर्कता बरतते हुए 31 मार्च तक महाराष्ट्र के स्कूल, कॉलेज, मॉल और थिएटर बंद कर दिए हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन न करने का आह्वान किया है. देश में कोरोना की प्रचंड दहशत फैली है. लोगों को उनकी जान प्यारी है लेकिन अंत में ऐसे ‘बंद’ वगैरह लंबे समय तक चलता रहा तो लोग कमाएंगे कैसे? खाएंगे कैसे? यह समस्या है. कोरोना से तो बचाव होगा लेकिन भूख से लोग मर जाएंगे.


महाराष्ट्र में कोरोना के तेजी से फैलने के बाद शिवसेना ने सामना की संपादकीय के जरिए चिंता जाहिर की है. सामना में आगे लिखा है, 'हिंदुस्थान में अब तक कोरोना के 95 मरीज पाए गए हैं, उनमें से 31 मरीज महाराष्ट्र के हैं. पुणे में सबसे ज्यादा हैं. चीन के वुहान प्रांत की तरह पुणे की भी संपूर्ण नाकाबंदी की जाए क्या? इस पर निर्णय लेना आवश्यक है लेकिन इस समय हिंदुस्थान में कोरोना वायरस दूसरे चरण का है. इसमें केवल कोरोनाग्रस्त देश से आए हुए व्यक्ति और उनके संपर्क में आए हुए मरीजों का समावेश है. कोरोना के संक्रमण को इसी चरण में रोकना जरूरी है. इसके आगे 30 दिन कोरोना को रोककर रखना महत्वपूर्ण है. एक बार ‘कोरोना’ संक्रमित रोगों की तरह फैलने लगा तो स्थिति हाथ से बाहर निकल जाएगी इसीलिए शासन को सख्त से सख्त उपाय करने की आवश्यकता है.


सामना में कोरोना के सामने पूरी दुनिया की स्थिति को खराब बताया गया है. सामना में आगे लिखा है, 'इस समय इटली और चीन में कोरोना वायरस छठवें चरण में पहुंच चुका है. चीन में 5000 लोग तो इटली में 2000 लोग मर चुके हैं. कोरोना वायरस को मारने वाला टीका आएगा तब आएगा लेकिन इस समय कोरोना के विस्तार को रोकना ही महत्वपूर्ण है. कोरोना वायरस को शरीर से अलग करने में हमारे वैज्ञानिकों को सफलता मिलने की खबर है. टीके की खोज के लिए किसी भी विषाणु का मानव शरीर के बाहर रहना आवश्यक है. इससे विषाणु पर अलग-अलग प्रकार के प्रयोग करने में आसानी होती है. हिंदुस्थान में यह प्रयोग शुरू हो गया है. पुणे में कोरोना का प्रमाण ज्यादा है. उसी पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) नामक संस्था को विषाणु को मानव शरीर के बाहर रखने में सफलता मिली है. अब उस पर क्या और कैसे प्रयोग किया जाता है ये देखना होगा. फिलहाल देश कोरोना से डरा हुआ है. पूरे संसार की अवस्था दयनीय है.